जैव अणु (Biomolecule) – Key Points

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जैव मंडल में जितने भी प्रकार के जीव उपस्थित होते हैं सभी जीवो के रासायनिक संरचना समान रसायनों के बने होते हैं प्रत्येक कोशिका अनेक प्रकार के रासायनिक अणु की बनी होती है एक जीवित तंत्र में भाग लेने वाले या उपस्थित सभी अणु जैव अणु ( Biomolecule ) कहलाते हैं –

Key Points

★ जीवों का शरीर तत्वों का सम्मिश्रण होता है अर्थात् अनेक तत्वों का बना होता है। कार्बन, हाइड्रोजन तथा ऑक्सीजन, कोशिकाओं के लगभग 93% भाग का निर्माण करते हैं। 

★ शरीर में तत्व स्वतंत्र या यौगिक के रूप में होते हैं।

★ कोशिका में उपस्थित सभी अणु आपस में समेकित रूप से  कोशिका का कोशिकीय पूल (Cellular pool) बनाते हैं। 

★ कोशिका में अत्यंत कम मात्रा में पाये जाने वाले तत्व सूक्ष्मा (Trace elements) तथा अधिक मात्रा में पाये जाने वाले वृहद् अणु या जटिल अणु (Macro elements) कहलाते हैं।

★ शर्करायें, अमीनो अम्ल, न्यूक्लिक अम्ल, न्यूक्लियोटाइड, प्रोटीन, वसा आदि कोशिका के कार्बनिक पदार्थ होते हैं। 

★ जल सभी ध्रुवीय पदार्थों के लिए अत्युत्तम विलायक है।

★ जल तथा खनिज लवण (Mineral elements) कोशिका के अकार्बनिक पदार्थ होते हैं।

★ तथा जैव तरल का लगभग 1% भाग खनिज लवण होते हैं।

★ कार्बोहाइड्रेट पॉलिहाइड्रॉक्सी एल्डिहाइड या पॉलिहाइड्रॉक्सी कीटोन्स होते हैं।

★ जीवों की कोशिकाओं में प्रायः 20 अमीनो अम्ल प्रोटीन संश्लेषण में भाग लेते हैं।

★ वसा तथा वसा जैसे पदार्थ जो कि कार्बनिक विलेयों में घुलनशील होते हैं, लिपिड कहलाते हैं।

★ कार्बोहाइड्रेट का सामान्य सूत्र C (H2O) होता है। 

★ कुछ न्यूक्लियोटाइड्स तथा उसके व्युत्पन्न सह- एन्जाइम (Co-enzyme) की तरह कार्य करते हैं।

★ CH, O तथा N कोशिका के लगभग 93-96% भाग का निर्माण करते हैं।

★ अमीनो अम्ल बहुलीकरण द्वारा प्रोटीन का निर्माण करते हैं। 

★ न्यूक्लियोटाइड्स, न्यूक्लिक अम्लों की आधारभूत इकाई होते हैं। 

★ खनिज पदार्थ हमारे शरीर की उपापचयी क्रियाओं का नियंत्रण करते हैं।

★ प्राकृतिक रूप से पायी जाने वाली शर्कराओं में फ्रक्टोज सबसे मीठी शर्करा है। 

★ स्तन ग्रन्थियाँ दूध की लैक्टोज शर्करा का निर्माण ग्लूकोज और गैलेक्टोज से करती हैं। माँ के दूध में लैक्टोज शर्करा

★ असंतृप्त वसाओं का यह नाम इसलिए दिया गया है, क्योंकि जब इनके कार्बन परमाणुओं के दोहरे बन्ध टूटते हैं तो हाइड्रोजन अणु लगते हैं।

★ तथा जैव तरल का लगभग 1% भाग खनिज लवण होते हैं।

★ खनिज लवण कोशिकीय संरचना के मुख्य घटक हैं तथा जैव क्रियाओं में सक्रिय भाग लेते हैं।

★ हीमोग्लोबिन तथा मायोग्लोबिन के संश्लेषण के लिए लौह एक आवश्यक तत्व है।

★ कैल्सियम और मैग्नीशियम के लवण स्तरीकरण द्वारा अस्थियों और दाँतों को मजबूत बनाते हैं। 

★ जल में घुलनशील विटामिन्स होते हैं- विटामिन C. थायमिन, राइबोफ्लेविन, बायोटिन तथा वसा में घुलनशील विटामिन्स होते हैं विटामिन A, D, E तथा K.

★ शरीर में उचित मात्रा में आयोडीन न होने से गलगण्ड या घेंघा (Goitre) रोग हो जाता है। 

★ शरीर में लोहे की मात्रा कम होने पर एनीमिया (anaemia) रोग हो जाता है।

★ लिपिड्स जो जल में अघुलनशील होते हैं, वे जलीय वातावरण में जीव अणु परत (Biomolecular layer) निर्मित करते हैं।

★ प्रत्येक न्यूक्लिक अम्ल चार प्रकार के न्यूक्लियोटाइड्स के बने बहुलीकृत अणु होते हैं।

★ DNA में प्यूरीन तथा पाइरीमिडिन बराबर-बराबर अनुपात में होते हैं।

★ प्राणी प्रोटीन को प्रथम श्रेणी का प्रोटीन तथा पौधों से प्राप्त होने वाले प्रोटीन को द्वितीय श्रेणी का प्रोटीन कहते हैं। 

★ सोयाबीन प्रोटीन (43.2%) पादप प्रोटीन का सबसे अच्छा स्रोत माना जाता है। 

★ आनुवंशिक सूचनाएँ विभिन्न प्रकार के न्यूक्लियोटाइड के क्रम में संचित रहती हैं।

★ न्यूक्लिक अम्लों में पायी जाने वाली पेण्टोज शर्करा दो प्रकार की होती है, राइबोज DNA और डी-ऑक्सीराइबोज DNA | दोनों में केवल इतना अंतर होता है कि DNA में एक ऑक्सीजन कम होता है।

★ प्यूरीन और पाइरीमिडीन में थोड़ा-सा अंतर पाया जाता है। प्यूरीन में दो और पाइरीमिडीन में एक रिंग पायी जाती है।

★ पादप वायरसों को छोड़कर शेष सभी जीवों का आनुवंशिक पदार्थ DNA होता है।

★ स्टार्च शर्करा से केवल इस बात में भिन्न होता है कि स्टार्च जल में अघुलनशील होता है और जीवित झिल्ली के आर पार नहीं जा सकता।

★ मांस में कार्बोहाइड्रेट के अनुपात में ज्यादा प्रोटीन पायी जाती है जबकि चावल में प्रोटीन के अनुपात में ज्यादा कार्बोहाइड्रेट पाया जाता है। 

★ एक ग्राम ग्लूकोज के पूर्ण ऑक्सीकरण से 4-2 किलो कैलोरी, वसा से 9.3 किलो कैलोरी तथा प्रोटीन से 5.6 किलो कैलोरी ऊर्जा प्राप्त होती है।

★ हमारे शरीर को कुल भार का 2% पानी प्रतिदिन चाहिये।

★ किरैटिन एक फाइब्रस, अघुलनशील प्रोटीन है, जिसे स्कलेरोप्रोटीन (Scleroprotein) भी कहते हैं, जंतुओं के एक्टोडर्मल कोशिकाओं, बालों, सींगों तथा नाखूनों में पायी जाती है। चमड़ा सबसे शुद्ध किरैटिन है। 

★ एण्टीबॉडी जंतुओं के शरीर में बनने वाला एक प्रोटीन अणु है जो बाहरी प्रवेश करती हुई प्रोटीन या एण्टीजेन (Antigen) के प्रभाव को निष्प्रभावित करती है। 

★ रियो वायरस तथा वुन्ड ट्यूमर वायरस (Wound tumour virus) में RNA द्विश्रृंखला वाला कुण्डलित रचना के रूप में होता है।

★ ग्लाइसिन सबसे सरल अमीनो अम्ल होता है।

★ सुक्रोज, माल्टोज तथा लैक्टोज सबसे सामान्य डाइ- सैकेराइड्स होते हैं।

★ ग्लूकोज को सामान्यतः ग्रेप शूगर भी कहते हैं। 

★ जंतुओं के शरीर में संश्लेषित नहीं हो सकने वाले अमीनो अम्ल को आवश्यक अमीनो अम्ल कहते हैं।

★ प्रोटीन शब्द सर्वप्रथम बर्जीलियस (Berzclius) तथा मुल्डर (Mulder) ने प्रयोग किया।

★ डी. एन. ए. शब्द सर्वप्रथम जेकेरिस (Zacharis) ने प्रयोग किया।

★ लेवाइन (Levine ) ने खोजा कि न्यूक्लिक अम्लों के अणु में 5 कार्बन शर्करा पेंटोज राइबोसोम तथा डी. ऑक्सी राइबोसोम होती है। 

★ कोसल (kossel) ने खोजा था कि DNA के पाइरिमिडीन तथा दो प्यूरीन क्षारक होते हैं।

★ जैविकीय क्रिया तथा उसके प्रक्रिया का अध्ययन बायोनिक्स (Bionics) कहलाता है।

★ इन्सुलिन नामक प्रकीण्व के अमीनो अम्ल के क्रम को 1953 में सैंगर (Sangar) ने पता लगाया।

★ प्रकीण्व की सहायता से किसी क्रियाधार का छोटे-छोटे घटकों में विघटन एन्जाइमोलाइसिस (Enzymolysis) कहलाता है।

★ ड्यूक्लॉक्स (Duclax, 1883) ने एन्जाइम के नाम के अंत में ऐज (ase) प्रत्यय (suffix) लगाने को प्रस्तावित किया।

★ एलोस्टीरिक संदमन की अवधारणा जैक्वेस मोनोड (Jacques Monod, 1965) ने दिया।

★ परॉक्सिडेज (Peroxidase) सबसे छोटा एन्जाइम होता है। जबकि कैटेलेज (Catalase) सबसे बड़ा होता है। 

★ प्रकीण्व जीवित अवस्था में बनते हैं लेकिन ये स्वयं जीवित नहीं होते हैं।

★ एन्जाइम का संश्लेषण DNA के द्वारा निर्धारित होता है। 

★ प्रकीण्व त्रिविमीय ( Three dimensional) रचना के कारण अकार्बनिक उत्प्रेरक की तुलना में अधिक क्रियाशील होते हैं।

★ अनेक विटामिन महत्वपूर्ण प्रकीण्वों के प्रोस्थेटिक समूहों के भाग बनाते हैं। उदाहरणार्थ- विटामिन B – कॉम्पलेक्स विभिन्न विटामिन्स यथा थाइमिन, निकोटिनिक अम्ल, राइबोफ्लेविन तथा पाइरीडॉक्सिन आदि

★ वह प्रक्रिया जिसके कारण प्रोटीन्स की लाक्षणिक पेप्टाइड श्रृंखला की संरचना का अवलन (Unfolding) हो जाता है। उसे विकृतिकरण (Denaturation) कहते हैं। प्रकीण्वों में यह क्रिया कई कारकों से होती है जिसमें तापमान मुख्य कारक के रूप में माना जाता है।

★ निष्क्रिय एन्जाइम प्रोएन्जाइम (Proenzyme) कहलाते हैं। 

★ सर्वाधिक एन्जाइम कोशिका के माइटोकॉन्ड्रिया में उपस्थित होते हैं। 

★ कोशिका के सभी हिस्सों एवं अंगों में एन्जाइम उपस्थित होते हैं।

★ किसी प्रकीण्व की कमी का हो जाना एन्जाइमोपेनिया | (Enzymopenia) कहलाता है। 

★ एन्जाइम का वह उत्प्रेरकीय स्थल जहाँ से क्रियाधार जुड़ते सक्रिय स्थल (Active site) कहलाता है। 

★ राइबोजाइम नामक एन्जाइम प्रोटीन का नहीं बल्कि / न्यूक्लिक अम्ल का बना होता है। इसकी खोज सेक एवं अन्य वैज्ञानिकों ने की थी।

★ अमीनो अम्ल के बहुलीकरण से प्रोटीन बनता है 

★  वसीय अम्ल तथा ग्लिसरॉल के संयोजन से लिपिड बनता है

★ A, D, E, K वसा में घुलनशील होते हैं 

★ शरीर में आयोडीन की कमी से घेंघा रोग होता है

★ एन्जाइम प्रोटीन के बने होते हैं 

★ निष्क्रिय एन्जाइम प्रोएन्जाइम  नाम से जाने जाते हैं

★ एन्जाइम जैव उत्प्रेरक एन्जाइम कहलाते हैं 

★ एलोस्टीरिक संदमन की अवधारणा को किस जैक्वेस मोनोड ने दिया ?

★ एक से अधिक पॉलीपेप्टाइड श्रृंखला वाले प्रोटीन को संयुग्मी प्रोटीन कहा जाता है। 

★ नाइट्रोजन तत्व प्रोटीन में बहुतायत पाये जाते हैं।

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