सावन का आरंभ

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जब बात प्रकृति की, जब बात सावन की तो अनेक कालजई रचना इस पर लिखी गई है प्रकृति और सावन को लेकर मैं भी एक छोटी सी रचना लेकर आपके समक्ष हाजिर हूँ उम्मीद करूंगा कि यह रचना आप सभी को पसंद आएगी यह मेरी प्रथम रचना है आपका उत्साहवर्धन मुझे नई कविताएं लिखने को प्रेरित करेगा |
अमित आनन्दराव कोल्हे
कक्षा – बी.एस.सी ( जैवप्रौद्योगिकी ) प्रथम वर्ष

Amit kolhe

“सावन का आरंभ “

कल-कल करती धारा,
अप्सरा भी कर रही गुणगान !
प्रकृति की सुंदरता तो देखो,
जीव जंतु भी कर रहे मान |

आगमन हुआ सावन का प्रकृति पर,
किसान भी हुआ खुशहाल |

हरियाली हैं छाई हुई,
जीव जंतु बढ़ा रहे प्रकृति का मान|

हुआ शुभारंभ सावन का,
साथ कोयल की मधुर आवाज |
मोर का नृत्य,नदियों की धारा,
तो खेत में खड़ा किसान |

आनंद में हुई प्रकृति,
हुई सावन की शुरुआत|
जीव,जंतु,मानस सभी झूम रहे,
देख प्रकृति का वरदान|

मानव के कुछ कटु कर्म से,
हुआ प्रकृति को कुछ नुकसान|
फिर प्रकृति ने मानव को दिखा दिया,
अपना अहम योगदान|

आओ मिलकर करे प्रकृति की रक्षा
फिर प्रकृति हो सुंदरता से धनवान|

सावन का भी ले मजा
सभी सन त्यौहार |

प्राकृतिक सभ्यता अपना कर करे,
सभी जीव जन्तु को खुशहाल|
आओ मिलकर करे प्रकृति का सम्मान

अमित आनन्दराव कोल्हे
कक्षा –बी.एस.सी
( जैवप्रौद्योगिकी )
प्रथम वर्ष
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