COVID-19
Covid -19 से न केवल भारत बल्कि पूरा विश्व महामारी का दंश झेल रहा है | इस महामारी से ना जाने कितने करोड़ लोग अपनी जान गवा चुके हैं | और निरंतर इसका आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा है| एक समय ऐसा लग रहा था कि इस समस्या का कोई इलाज नहीं है, परंतु धीरे-धीरे जैसे ही वैक्सीन का निर्माण हुआ अब ऐसा लग रहा है कि समस्या का निदान हो सकता है | कई देश इस महामारी रूपी दंस से निजात पा भी चुके हैं | और कई देश इस दिशा में प्रयासरत हैं |
कोरोना फोबिया-
Covid- 19 को सबसे बड़ा प्रभाव मनुष्य की सोचने समझने की शक्ति पर पड़ा है | मनुष्य मानसिक रूप से कमजोर होने लगा है या कह सकते हैं कि मनुष्य कोविड- फोबिया का शिकार हो गया है | दो चार बार छींक आई नहीं कि मनुष्य का दिमाग कोविड के बारे में सोचने लगता है | हल्की सी गले में खराश हुई नहीं, या शरीर का तापमान बढ़ा नहीं कि उसे ऐसा लगने लग जाता है कि वह कोरोना का शिकार तो नहीं हो गया है | मनुष्य की सोच पूरी तरह से कोरोना के इर्द-गिर्द हो गई है | इस तरह की सोच को ही कोविड- फोबिया कहा जा सकता है |
कोरोना फोबिया और प्रयोग
कोविड- फोबिया के कारण मनुष्य अपने साथ कई प्रयोग भी करता है इन प्रयोगों में वह गुड़ का स्वाद लेता है, फूलों के साथ-साथ अन्य प्रकार के पदार्थों की खुशबू लेता है | और जब उसे गुड़ का स्वाद मीठा लगता है और फूलों की खुशबू आने लग जाती तो उसे ऐसा लगता है कि वह कोरोना का शिकार नहीं है| कुछ हद तक वह सही भी होता है परंतु पूर्णता सही नहीं होता है | जब उसे इस बात का ज्यादा डर सताने लग जाता है तब वह डॉक्टर भी बन जाता है | तरह-तरह की इम्युनिटी बढ़ाने वाली दवाइयां लेने लग जाता है | तरह तरह से वह अपने साथ मेडिसिन रखता है और बगैर डॉक्टर की सलाह के वहां इन दवाइयों का इस्तेमाल करना शुरू कर देता है इसका असर यह होता है कि उसका शरीर और कमजोर होने लग जाता है |
कोरोना फोबिया – कारण
कोविड फोबिया का सबसे बड़ा कारण है अधकचरा ज्ञान जो व्हाट्सएप, टीवी तथा अन्य सोशल मीडिया पर फैलाया जा रहा है | लगातार कोरोना से होने वाली मौत की खबरों को इस तरह पेश किया जाता है कि अच्छे से अच्छा व्यक्ति भी घबरा जाए | हमारे व्हाट्सएप ग्रुप में आने वाली ऐसे लोगों की खबरें जिनसे हम प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़े हुए | यह खबरें मानव मस्तिष्क में नकारात्मकता का भाव बढ़ाती है | साथ ही मनुष्य का एकांकीपन जो उसे लगातार सोशल मीडिया के संपर्क में रहने के लिए मजबूर करता है | जब वह इन खबरों को पढ़ता है या वीडियो देखता है तो उसके मन में गहन अवसाद उत्पन्न हो जाता है यह सब बातें उसे कोरोना फोबिया की ओर ले जाती है |
कोरोना फोबिया से कैसे बचे
कोरोना फोबिया से बचने के लिए जरूरी सबसे महत्वपूर्ण बात है व्यक्ति का आत्मविश्वास | यह आत्मविश्वास मनुष्य की रोग प्रतिरोधक क्षमता अर्थात इम्यूनिटी को बढ़ाता है | सकारात्मक सोच उत्पन्न करने के लिए जरूरी है कुछ बातों को अपनाना |
=) अपनी दिनचर्या को व्यस्त बनाइए
=) सुबह की शुरुआत प्रार्थना के साथ कीजिए स्वयं के लिए और दूसरों के लिए प्रार्थना कीजिए ” हे ईश्वर, हे सर्व शक्तिमान लाखों लोगों पर दया कीजिए, जो इस महामारी का दंश झेल रहे है उन्हें स्वस्थ कर दे “
=) सुबह जल्दी उठना चाहिए, टहलना चाहिए, योग करना चाहिए | इससे ना केवल आप शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी मजबूत होंगे और आपके मन में सकारात्मकता का भाव जागृत होगा | यही कार्य आप शाम के समय भी कर सकते हैं |
=) जितने भी व्हाट्सएप ग्रुप में आप जुड़े हैं उनमें से जो बहुत जरूरी हो उनमें बने रहिए अन्यथा बाकी सब से बाहर निकल आइये | साथ ही इन ग्रुप में आने वाली बेवजह की पोस्ट को पढ़ना बंद कीजिए |
=) सोशल मीडिया, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से थोड़ी दूरी बनाकर चलो विशेषकर न्यूज़ चैनलों से हो सके तो इनके स्थान पर सीरियल या ऐसी फिल्में जो आपकी पसंदीदा हो देखना चाहिए |
=) ऐसे कार्य जो आप नहीं कर पाए हो अब तक यदि आप कर सकते हैं तो ऐसे कार्यों को करिए |
=) सकारात्मक प्रभाव डालने वाली पुस्तकें, वीडियो लेक्चर, मोटिवेशनल लेक्चर को पढ़ना और सुनना चाहिए |
=) कुछ कविताएं लिख सकते हैं, चित्रकारी कर सकते हैं यह कह सकते हैं कि आप इस दौरान अपने शौक को पूरा कर सकते हैं |
=) स्वयं को और अपने आसपास के माहौल को खुशनुमा बनाने का प्रयास कीजिए साथ ही अपने आप को और दूसरों को मोटिवेट करने का प्रयास भी करते रहना चाहिए |
=) दिन में एक बार अथवा दो-चार दिनों में अपने परिचितों को फोन लगाकर उनका हालचाल जरूर पूछें और उन्हें सकारात्मक रहने के उपाय बताएं |
=) स्वयं भी खुश रहें और दूसरों को भी खुश रखे |
Covid -19 से बचाव के उपाय
- लॉकडाउन के दौरान घर पर रहे, बहुत जरूरी होने पर ही घर से बाहर मास्क पहनकर ही निकले | दूसरों से दूरी बनाए रखें |
- पर्याप्त और संतुलित भोजन ले, ज्यादा से ज्यादा पानी पीने का प्रयास करें |
- स्वयं डॉ. ना बने, ना ही अपने पर डॉक्टरी प्रयोग करें | यदि किन्हीं कारणों से बीमार पड़ते हैं डॉक्टर की सलाह के अनुसार ही दवाइयों का प्रयोग करे |
- अपने शरीर को प्रयोगशाला ना बनाएं |
- समय-समय पर अच्छी तरह से साबुन से हाथ धोएं और सैनिटाइजर का प्रयोग करें |
निष्कर्ष-
किसी भी समस्या का निदान सकारात्मकता के साथ किया जाना चाहिए| जब आपकी सोच सकारात्मक होगी तब सकारात्मक Idea आपके दिमाग में आएंगे | किसी व्यक्ति विशेष पर दोषारोपण करने की बजाय समस्या के समाधान अपना दिमाग लगाना चाहिए | हर कोई इस समस्या का निदान ढूंढने में लगा है और लगभग समस्या का निदान ढूंढा भी जा चुका है | बस सभी को मिलकर एक साथ इस समस्या का समाधान करना है |
उपरोक्त लेख पूरी तरह से मेरे अपने विचार हैं| मैंने समाचार माध्यम , सोशल मीडिया में जो चीजें मैंने देखी है उसी आधार पर यह लेख तैयार किया है मैं उम्मीद करूंगा यह लेख आप सभी को पसंद आएगा अपनी प्रतिक्रिया कमेंट कर दे|
NEXT ARTICLE –