विश्व वन दिवस – ” वन है तो जन है “
” जीवन का आधार वृक्ष हैं,
धरती का श्रृंगार वृक्ष हैं | “
किसी कवि की यह पंक्तियां वनों का मानव जीवन के अस्तित्व और धरती के अस्तित्व में महत्व को भली भांति बताता है| मानव के साथ अन्य जीवों के अस्तित्व को बनाए रखने के लिए इस धरा पर वनों का होना जरूरी है चाहे श्वास लेने के लिए ऑक्सीजन की बात हो या मनुष्य की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति की बात हो हम सभी के लिए वनों पर, वृक्षों पर निर्भर हैं |
वन क्या हैं –
“ प्रकृति का वह भू -भाग जहाँ वृक्षों की अधिकता हो तथा मानवीय हस्तक्षेप ना हो वन कहलाते हैं | ” यह माना जाता है कि पृथ्वी के भूभाग पर 33% वनों का होना आवश्यक हैं वर्तमान में पृथ्वी के कुल भू-भाग के 9.5% भाग पर वन है जो कुल भूमि क्षेत्र का 30% भाग है| यदि भारत की बात की जाए तो 24.39% वन भारत के भौगोलिक क्षेत्रफल को आच्छादित करता है |जो लगभग 802, 018 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र होता है |
भारत में वन
–वनों को अलग-अलग प्रकार से वर्गीकृत किया गया है भारत में मुख्य रूप से निम्न प्रकार के वन पाए जाते हैं
1.ऊष्ण कटिबंधीय सदाबहार
2.ऊष्ण कटिबंधीय आद्र पर्णपाती वन
3.ऊष्ण कटिबंधीय कटीले वन
4.उपोष्ण पर्वतीय वन
5.शुष्क पर्णपाती वन
6.हिमालय के आद्र वन
7.हिमालय के शुष्क शीतोष्ण वन
8.पर्वतीय आद्र शीतोष्ण वन
9.अल्पाइन एवं अर्ध अल्पाइन वन
10मरुस्थलीय वन
11.डेल्टाई वन
वनों के संरक्षण की आवश्यकता क्यों?
मानवीय गतिविधियों के कारण, रोटी कपड़ा और मकान की पूर्ति के लिए वनों का लगातार दोहन किया जाता रहा है जिसके कारण वन सीमित हो गए वन, जीव जन्तुओं के लिए आवासस्थल हैं और पृथ्वी के जल-चक्र को नियंत्रित और प्रभावित करते हैं और मृदा संरक्षण का आधार हैं इसी कारण वन पृथ्वी के जैवमण्डल का अहम हिस्सा हैं। वन धरती के सबसे प्रमुख स्थलीय परितंत्र भी हैं। वन, धरती के जीव-मडंल के कुल सकल प्राथमिक उत्पाद के 75% भाग लिए हैं । धरती की 80% वनस्पतियाँ वनों में पाई जाती हैं। वनों के संरक्षण की आवश्यकता को निम्न बातों के आधार पर समझा जा सकता है
1. प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिये
2. जीवों के आश्रय स्थल बनाए रखने के लि
3. जैव विविधता को बनाए रखने के लि
4. मृदा संरक्षण के लिए
5. पर्यावरण प्रदूषण रोकने के लि
6. मनुष्य की दैनिक आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए
7. वैज्ञानिक अध्ययन के लिए
8. प्राकृतिक सौंदर्य को बनाए रखने के लिए
9. धार्मिक आस्था को बनाए रखने के लिए
10.अन्य आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए वनों के
संरक्षण के लिए क्या करें-
वन संरक्षण अधिनियम के होने के बावजूद आज वनों की स्थिति निरंतर गिरते जा रही है दिन प्रतिदिन वन कम होते जा रहे हैं जिसकी वजह से प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति निर्मित हो रही है| सरकार तथा गैर सरकारी संस्थाओं के द्वारा किए जा रहे प्रयास नगण्य साबित हो रहे हैं अतः ऐसा कुछ किया जाना चाहिए जिससे कि वनों को संरक्षित और सुरक्षित रखा जा सके| कुछ उपाय जो वन संरक्षण के लिए किए जा सकते हैं निम्नलिखित हैं –
1.महिलाओं की भूमिका-
वनों के प्रति महिलाओं का बहुत ही भावनात्मक लगाव होता है इसका उदाहरण चिपको आंदोलन से लिया जा सकता है जब गौरा देवी ने अपने प्राणों की परवाह न करते हुए वनों को बचाने के लिए प्रयास किए |
जब तक महिलाओं का सहयोग नहीं लिया जाएगा केवल सरकार तथा गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा वन संरक्षण एवं सुरक्षा संभव नहीं हैं | विशेषकर वनों के आसपास रहने वाली महिलाओं को वनों के महत्व के बारे में बताना होगा| उन्हें बताना होगा कि यदि वन सुरक्षित रहेंगे तो हम अपने दैनिक आवश्यकताओं के लिए वन उप उत्पाद जैसे फल, जलावन की लकड़ी, रेसे, शहद, गोंद, रबड़, दवाई आदि प्राप्त करते रहेंगे | यदि वन ही नहीं रहेंगे तो हम इन्हें किस प्रकार से प्राप्त करेंगे|
2.समुदाय की भूमिका-
वनों के आसपास रहने वाले समुदाय विशेषकर आदिवासी समुदाय, वनवासी समुदायों के सहयोग के बिना वनों का संरक्षण किया जाना संभव नहीं है| वन रक्षा के इन ध्वजवाहको को वन संरक्षण एवं सुरक्षा प्रोग्राम में शामिल किया जाए तो परंपरागत ज्ञान एवं आधुनिक तकनीक के मिलन से इस दिशा में सफलता मिल सकती हैं | सामाजिक वानिकी जैसे प्रोग्राम के माध्यम से समुदाय के अन्य लोगों को वन संरक्षण से जोड़कर वनों को बनाए रखने में सफलता प्राप्त की जा सकती है|
3.छात्रों की भूमिका-
वन संरक्षण को जन-जन तक पहुंचाने के लिए छात्रों का सहयोग लिया जाना अति आवश्यक है यह वह कड़ी है जो वन संरक्षण की बात अपने अभिभावकों तक पहुंचा कर वन संरक्षण में अपनी महत्ता साबित कर सकते हैं | छात्रों के मध्य विभिन्न प्रतियोगिताओं का आयोजन करके इस बात को आसानी से लोगों तक पहुंचाया जा सकता|
4.वन संरक्षण अधिनियम को शक्ति के साथ लागू कर भी वन संरक्षण को मूर्त रूप दिया जा सकता है| बगैर भेदभाव के यदि इस कानून को लागू कर दिया जाए तो हो सकता है वनों का संरक्षण बहुत हद तक किया जा सकता है|
5.वृक्षारोपण कार्यक्रम कागजों तक सीमित न रहकर धरा पर मूर्त रूप ले ले तब भी वनों को बचाया जा सकता है |
6.संयुक्त वन प्रबंधन जैसे कार्यक्रमों को पुनः अपना कर भी वनों को सुरक्षित किया जा सकता है| स्थानीय समुदायों के साथ मिलकर काफी अच्छी तरह से वनों की रक्षा और प्रबंध का कार्य किया जा सकता है वनों के प्रति उनकी सेवाओं के बदले विविध प्रकार के वन उत्पाद प्राप्त करने का अधिकार इन्हें हो जाता है इस प्रकार वन संरक्षण एवं सुरक्षा एक टिकाऊ प्रक्रिया के तहत संपन्न होता है|