KEY POINTS TO REMEMBER
Chapter 1 संजीव जगत (Living World) के महत्वपूर्ण बिंदुओं को key points के रूप में आपके समक्ष प्रस्तुत किया गया है, जो अध्ययन की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है।
1. अब तक पृथ्वी पर लगभग 1.7 मिलियन (17 लाख) से 1-8 मिलियन (18 लाख) जातियों की खोज हो चुकी है तथा इनका अध्ययन किया जा सका है।
2. जीव विज्ञान (Biology) शब्द का उपयोग सर्वप्रथम लैमार्क और ट्रेविरेनस (Lamarck and Treviranus) ने किया था।
3. जीवों की क्रियाओं एवं ऊर्जा संबंधों का अध्ययन जीव गतिकी (Biodynamics) के अन्तर्गत किया जाता है।
4. जैविकीय क्रियायें ऊर्जा के एक स्वरूप से दूसरे स्वरूप में होते रहने के कारण संचालित होती रहती हैं।
5. समस्त जैविक क्रियायें एवं लक्षण प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जीन द्वारा निर्धारित होती हैं।
6. जीवन की इकाई कोशिका होती है तथा रासायनिक अभिक्रियाओं का इनके जीवद्रव्य में सम्पादित होते रहने पर उन्हें जीवित कोशिका कहा जाता है।
7. कोशिकीय संगठन, उपापचय, प्रजनन, अनुकूलन तथा मृत्यु मुख्य जैविक क्रियायें हैं।
8. कोशिकीय संगठन, संवेदनशीलता (Consciousness) उपापचय, समस्थापन (Homeostasis) तथा आनुवंशिक पदार्थ के रूप में DNA की उपस्थिति जीवों के परिभाषणीय लक्षण ( define features) है।
9. कोशिकीय संगठन , वृद्धि, प्रजनन, जीवन अवधि, गति, प्रजनन, श्वसन, उपाचयिक क्रिया तथा मृत्यु जीवों के पहचान लक्षण (identification features) मानें जाते हैं।
10. सभी जीव जनन (Reproduction), वृद्धि (Growth) तथा पर्यावरण के प्रति अनुकूल क्रिया करने वाले होते हैं।
11. जीवधारियों में आकार, रंग-रूप, आवास (Habitat), कार्यिकी (Physiological) तथा आकारिकीय लक्षणों से सम्बन्धित अनेक भिन्नताएँ मिलती हैं।
12. पृथ्वी पर ही जीवन होने का मुख्य कारण जल है। यह पौधों एवं जंतुओं में तरल पदार्थ के रूप में संचारित होता है।
13. पौधों की कोशिकाओं में कोशिकाभित्ति पायी जाती है, इसका होना, पौधा का कोशिका होने को सूचित करता है।
14. प्रकीण्व (Enzyme) प्रोटीन के बने होते हैं। ये सजीवों में उत्पन्न होते हैं तथा जैविक अभिक्रिया में जैव-उत्प्रेरक का कार्य करते हैं।
15. पृथ्वी पर ऊर्जा का स्रोत सूर्य है। सूर्य की ऊर्जा नाभिकीय संलयन के कारण पैदा होती है। सूर्य में हाइड्रोजन परमाणु के नाभिक मिलकर अपने से बड़े हीलियम के नाभिकों का निर्माण करते हैं जिसके कारण ऊर्जा विमुक्त होती है।
16. अमीबा द्विविखण्डन की प्रक्रिया द्वारा प्रजनन करता है अर्थात् उसकी पहले से स्थित पैतृक कोशिका अपनी संतति कोशिका के रूप में जीवित रहती है, इसलिए इसे अमर (immortal) कहा जाता है।
17. अनुकूलन जाति के विकास एवं पृथ्वी पर उसके बने रहने के लिए अत्यावश्यक है अन्यथा जीव कालान्तर में पृथ्वी घर से विलुप्त हो जाते हैं।
16. जीवों को उसके सरल प्रेक्षणीय लक्षणों के आधार पर विभिन्न समूहों में श्रेणीबद्ध करने की प्रक्रिया वर्गीकरण कहलाती है।
18. जीव, जीवों की जनसंख्या, समुदाय तथा पारिस्थितिक तंत्र के जैविक समुदाय में उपस्थित भिन्नताओं (Variations) के कुल योग को जैव विविधता (Biodiversity) कहते हैं।
19. एक जीव अपने आप में जाति (Species) होता है। सभी जातियाँ एक-दूसरे से भिन्न होती हैं।
20. जीवों की किस्में और उनकी विविधताओं को ध्यान में रखते हुए जीव-वैज्ञानिकों (Biologists) ने जीवों की पहचान (Identification), नामकरण (Nomenclature) तथा वर्गीकरण (Classification) के लिए कुछ नियमों का प्रतिपादन किया।
21. विज्ञान की वह शाखा जिसमें निश्चित नियमों एवं सिद्धान्तों पर आधारित जीवधारियों का वर्गीकरण किया जाता है, वर्गिकी (Taxonomy) कहलाती है।
22. पहचान, नामकरण तथा वर्गीकरण के अध्ययन के विज्ञान को वर्गिकी (Taxonomy) कहते हैं।
23. जीवधारियों में जातिवृत्तीय सम्बन्ध (Phylogenetic relationship) का अध्ययन तथा इन सम्बन्धों को ध्यान में रखते हुए उनका वर्गीकरण, वर्गीकरण विज्ञान (Systematics) कहलाता है।
24 वर्गिकी (Taxonomy) और वर्गिकी विज्ञान (Systematics) एक-दूसरे के पूरक हैं इसलिए कभी-कभी एक-दूसरे के पर्यायवाची (synonyms) के रूप में प्रयोग में लाये जाते हैं।
25. लक्षण-विवरण (Characterization), पहचान (Identification), वर्गीकरण (Classification) तथा नामकरण (Identification) की प्रक्रियायें वर्गिकी का आधार मानी जाती है।
26. ट्राइब, उपकुल एवं वंश (Genus) के बीच की मध्यस्थ श्रेणी(Intermediate category) है।
27. सभी जीवों के वैज्ञानिक नाम लैटिन शब्द के बने होते हैं। क्योंकि ये मृत (Dead) भाषा है अर्थात् इसमें परिवर्तन की संभावना कम होती है।
28 कैरोलस लीनियसने जीवों के नामकरण की द्विनाम पद्धति (Binomial Nomenclature System) प्रस्तावित की। इस पद्धति में प्रत्येक जीव के दो नाम होते हैं—पहला वंश नाम (Generic Name) तथा दूसरा जाति संकेत पद (Specific epithet)। ये नाम ICBN तथा ICZN से मान्यता प्राप्त होते हैं तथा अन्तर्राष्ट्रीय होते हैं।
29 जीव वर्गीकरण तन्त्र में अपने स्थान को प्रदर्शित करता है। इसमें अनेक वर्ग/पद होते हैं जिन्हें वर्गिकी संवर्ग (Taxonomic categories) अथवा टैक्सा कहते हैं। ये सभी वर्ग वर्गिकी पदानुक्रम (Hierarchy of categories) बनाते हैं जिसमें सबसे छोटा संवर्ग जाति (Species) और सबसे बड़ा जगत् (Kingdom) होता है और पदानुक्रम के सभी संवर्गों को नीचे से ऊपर तक बढ़ते हुए क्रम (Ascending order) में दिखाया जाता है।
30. सर्वप्रथम जॉन रे ने जाति शब्द दिया।
31. लिनियस ने वर्गीकरण एवं नामकरण की विवेचना हेतु सिस्टेमा नेचुरी, स्पीशीज, प्लैण्टेरम आदि पुस्तकें लिखी।
32. पाँच जगत वर्गीकरण प्रणाली मुख्यतः पोषण की विधि पर आधारित है।
33. हरबेरियम (Herbarium), वानस्पतिक उद्यान (Botanical Gardens), संग्रहालय (Museum) तथा चिड़ियाघर (Zoological Parks) इत्यादि मुख्य वर्गिकी सहायता साधन हैं जिनकी वर्गिकी अध्ययन में अति आवश्यकता होती है।
34. हरबेरियम वर्गिकी अध्ययन के लिए तत्काल सन्दर्भ (Reference) तन्त्र उपलब्ध कराता है।
35 . वानस्पतिक उद्यान तथा प्राणि उद्यान बहिर्स्थान संरक्षण (Ex-situ preservation) की प्रक्रिया के अच्छे उदाहरण है।
36 . हावड़ा के शिवपुर स्थल में स्थित राष्ट्रीय वानस्पतिक उद्यान (आचार्य जगदीश चन्द्र बोस राष्ट्रीय वानस्पतिक उद्यान) में स्थित पादपालय एशिया का सबसे बड़ा पादपालय है।
37. प्राणी उद्यान में जीवित प्राणियों को तथा प्राणी संग्रहालय में मृत जन्तुओं या उसके अवशेष प्रदर्शित किए जाते हैं।
38. पादपालय ऐसे स्थल होते हैं जहाँ पादप प्रतिदर्श दबाकर सुखाये गए स्वरूप में विशिष्ट सीट पर चिपकाकर प्रदर्शित किए जाते हैं तथा यहाँ इस तरह के प्रतिदर्शों का विशाल संग्रह उपस्थित होता है।
39. वानस्पतिक उद्यान ऐसे उद्यान होते हैं जहाँ विशिष्ट पौधे अपने पारिस्थितिक परिवेश से लाकर संरक्षित तौर पर प्राकृतिक स्वरूप में उगाये जाते हैं
40. वानस्पतिक उद्यान में सन्दर्भ के लिए पौधों का जीवित अवस्था में संग्रहण किया जाता है जबकि म्यूजियम में पौधों तथा प्राणियों के परिरक्षित नमूनों को सुरक्षित रखा जाता है और चिड़ियाघर, शरण-स्थल (Sanctuaries) तथा नेशनल पार्कों में प्राकृतिक आवास की परिस्थितियों में जीवित वन्य जीवों (Wild animals) को रखा जाता है।
41. क्रमिक लक्षणों की युग्मित सूची जिससे मिलान करके जीव की पहचान सुनिश्चित की जाती है, वर्गिकीय कुंजी (Taxonomic key) कहलाती है।
42. वर्गिकी कुन्जियाँ, फ्लोरा (Flora), मैन्युअल तथा मोनोग्राफ अन्य वर्गिकी साधन सामग्री हैं जिनका उपयोग समानताओं तथा असमानताओं (Similarities and dissimilarities) के आधार पर पौधों तथा प्राणियों की पहचान के लिए तथा उनकी वर्गीकृत स्थिति (Taxonomic Position) ज्ञात करने के लिए किया जाता है।
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