Antibiotics – Useful substance

1
2566
views

Antibiotics – Useful substance

Antibiotics [प्रतिजैविक] कुछ सूक्ष्म जीवों [Micro-Organism ] द्वारा स्रावित [Excreate] किए जाने वाले रासायनिक पदार्थ [Chemical Substance ]होते हैं जो विभिन्न प्रकार के रोगाणु [Germ] की वृद्धि में अवरोध [ innhibition ] उत्पन्न करते हैं |
Antibiotic शब्द दो शब्दों anti – against तथा biotic -life से मिलकर बना होता है, जिसका शाब्दिक अर्थ जीवन के विरुद्ध होता है | सल्मैन वाक्समैन [ Selman Waksman 1942 ] ने “against -life” शब्द का प्रयोग किया था | प्रतिजैविको का रोगजनक सूक्ष्मजीवों के प्रति यह गुण एंटीबायोसिस [antibiosis] कहलाता है |

अब तक लगभग 7000 से ज्यादा प्रतिजैविको की खोज की जा चुकी है और प्रतिवर्ष लगभग 300 नए प्रतिजैविक विकसित कर लिए जाते हैं |

biology extra – antibiotics
CONTENT
1. INTRODUCTION
2. DEFINATION
3.HISTORICAL BACKGROUND
4.METHOD FOR OBTAINED ANTIBIOTIC
5.CHARECTERS OF ANTIBIOTICS
6.CATEGORIES OF ANTIBIOTICS
7.TYPES OF ANTIBIOTIC
8. USES OF ANTIBIOTICS
9. संदर्भ
content

Historical Background

(ऐतिहासिक विवरण )-

सबसे पहले प्रतिजैविक पेनिसिलिन की खोज हुई थी | पेनिसिलिन [Penicillin ] की खोज अलेक्जेंडर फ्लेमिंग [ Alexander Fleming, 1928 ] द्वारा खोजा गया था | अलेक्जेंडर फ्लैमिंग संयोगवश पेनिसिलिन की खोज की थी जब उन्होंने स्टेफिलोकोक्कस जो मनुष्य के गले में संक्रमण उत्पन्न करता है, नामक जीवाणु पर कार्य कर रहे थे | तब उन्होंने देखा कि जिन प्लेटों पर वह कार्य कर रहे थे उनमें एक बिना धुली प्लेट पर मोल्ड्स (moulds ) उत्पन्न हो गए जिस कारण से इस प्लेट पर स्टेफिलोकोकस grow नहीं कर सका | उन्होंने पाया कि यह प्रभाव मोल्ड्स (moulds ) द्वारा उत्पन्न एक रसायन पेनिसिलिन द्वारा होता है | पेनिसिलिन, पेनिसिलियम नोटैटम नमक moulds से उत्पन्न हुआ है इस कारण से इसका नाम उन्होंने पेनिसिलिन रखा |

अरनेस्ट चैन तथा हावर्ड फ्लोरे (1939 ) ने इसकी एक शक्तिशाली एवं प्रभावशाली एंटीबायोटिक के रूप में पुष्टि की | इसका प्रयोग दूसरे विश्व युद्ध में घायलों के उपचार हेतु व्यापक रूप से हुआ तथा सन् 1945 में इस कार्य के लिए फ्लेमिंग, चेन तथा फ्लोरे को नोबेल पुरस्कार प्राप्त हुआ |

लुइस पाश्चर [ L.Pasture ] ने सूक्ष्म जीवों [Micro-Organism ] की विभिन्न जातियों के एंटागोनिस्टिक [ Antagonestic ] संबंधों का अध्ययन किया था |

एंटागोनिस्टिक [ Antagonestic ] के कारण सूक्ष्म जीवों [Micro-Organism ] तथा रोगाणुओं [Germ ] के मध्य ऑक्सीजन एवं पोषक पदार्थों हेतु प्रतिस्पर्धा होती है | जिसके कारण वृद्धि करते हुए रोगाणुओं के संवर्धन [Culture ] अथवा मीडिया में एंटीबायोटिक उत्पन्न हो जाते जिसके कारण मीडिया का माध्यम अम्लीय [acidic ] अथवा क्षारीय [ basic ] हो जाता है जिसके फलस्वरूप रोगाणुओं की वृद्धि रुक जाती है |

मैटचिनकॉफ [ Matchinkoff ] के अनुसार लैक्टिक एसिड जीवाणु [ Lactic acid Bacteria ] के एंटागोनिस्टिक [ Antagonestic ] प्रभाव द्वारा मनुष्य की आंत्र [Intestine ] के अनेक हानिकारक सूक्ष्म जीवों [Micro-Organism ] को नष्ट किया जा सकता

लेश्चिनकोव [ Lashchinkov 1909 ] तथा फ्लेमिंग [ Fleming ] ने जीवाणुओं से lysozyme नामक एंजाइम प्राप्त किया जिसके प्रभाव से विभिन्न प्रकार की सूक्ष्म जीवों [Micro-Organism ] की वृद्धि को रोका जा सकता है |
महत्वपूर्ण एंटीबायोटिक पेनिसिलिन [Penicillin ] की खोज अलेक्जेंडर फ्लेमिंग [ Alexander Fleming, 1928 ] ने की थी | वर्तमान में fungi, bacteria तथा एक्टीनोमाइसीट्स का उपयोग विभिन्न एंटीबायोटिक्स के व्यवसायिक रूप से उत्पादन हेतु किया जाता है |

HUMAN SKEIETON SYSTEM

प्रतिजैविक प्राप्त करने की विधि-

चिकित्सा विज्ञान में प्रयुक्त होने वाले विभिन्न प्रकार के एंटीबायोटिक्स[ antibiotics ] विशिष्ट विधियों द्वारा प्राप्त किए जाते हैं, जिसमें कवको [fungi] एक्टीनोमाइसीट्स [ Actinomycetes ] जीवाणुओं [ Bacteria ] के स्ट्रेन प्रयोग मे लाए जाते हैं |
इन्हें विभिन्न प्रकार के मीडिया [ Media ] पर उपयुक्त तापमान [ Temperature ] एवं अनुकूल परिस्थितियों में संवर्धित [ Culture ] किया जाता है तथा उनसे प्राप्त पदार्थों को एंटीबायोटिक्स के रूप में प्रयोग में लाया जाता है|
उदाहरण के लिए एंटीबायोटिक पेनिसिलिन के उत्पादन हेतु सबसे प्राचीन तथा सर्वोत्तम विधि किण्वन विधि का उपयोग किया जाता है | जिसमें संवर्धन माध्यम [ Culture medium ] में पेनिसिलियम नोटैटम या Penicillium chrysoganum का strains उपयोग किया जाता है | इस प्रक्रिया में अत्यधिक क्षमता पूर्वक विलोड़न तथा वायु प्रवाह की आवश्यकता होती है |
एक्टीनोमाइसीट्स जिसके अंतर्गत तंतुवत कवक [filamentous fungi ] आते हैं, के एंटीबायोटिक अत्यधिक प्रभावशाली उत्पादक के रूप में होते हैं|
इनका संवर्धन एक sterelised पोषक माध्यम में किया जाता है जिसमें ग्लूकोस ,सोयाबीन मील्स तथा खनिज लवण होते हैं, इस माध्यम में स्ट्रैप्टोमायसिस ग्रीसियस [ S.griseus ] के इस strain को वृद्धि कराया जाता है|
इस fermentation की क्रिया में माध्यम का पीएच 7.5 तथा तापमान 30 डिग्री सेंटीग्रेड रखा जाता है ! यह प्रक्रिया लगभग 5 से 7 दिनों तक कराई जाती है ! इस स्ट्रेन में माइसीलियम के एक समान तथा ठीक से वृद्धि करने के लिए मीडियम में वायु प्रवाहित करके इसे मिलाया जाता है|

निष्कर्षण-
माइसीलियम की वृद्धि होने के पश्चात इन्हें फिल्ट्रेशन या सेंट्रीफ्यूजीएशन द्वारा अलग किया जाता है| इसके पश्चात सॉल्वेंट निष्कर्षण [solvent extraction ] प्रेसिपिटेशन [ precipitation ] या अवशोषण विधि द्वारा मीडियम से एंटीबायोटिक को निष्कासित किया जाता है|
निष्कासित एंटीबायोटिक पदार्थ को बैक्टीरियल फिल्टर्स द्वारा फिल्टर किया जाता है तथा शुद्ध उत्पाद प्राप्त कर लिया जाता है|

online biology test

Charecters of Antibiotics

[ प्रतिजैविको के गुण ]

  • प्रत्येक प्रतिजैविक में एंटीमाइक्रोबॉयल स्पेक्ट्रम प्रभाव का लक्षण पाया जाता है |
  • कुछ प्रतिजैविक प्रभावशाली एंटीबैक्टीरियल क्रिया वाले होते हैं जिनके ऊपर मानवो में उपस्थित प्रोटींस का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है तथा वे मानव जीवन के लिए toxic भी नहीं होते हैं |
  • प्रतिजैविको के शीघ्र एवं विस्तृत क्षेत्र में उपचारक प्रभाव होने चाहिए |
  • प्रतिजैविक सूक्ष्मजीवों में प्रतिरोधकता के विकास को प्रेरित नहीं करना चाहिए |
  • यह पोशाक में अतिरिक्त प्रभाव उत्पन्न नहीं करें जैसे -तंत्रिका अनियमितता,एलर्जी, कुपाचन आदि |
  • इनके द्वारा मनुष्य की आहार नाल के लाभदायक सूक्ष्मजीवों को नष्ट नहीं करना चाहिए |

Categories of Antibiotics

( प्रतिजैविको की श्रेणी )

Antibiotics कि विभिन्न लक्षणों में प्रभाव के अनुसार उन्हें दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है –

  1. Bacteriostatic – बैक्टीरियोस्टेटिक एंटीबायोटिक्स प्रोटीन उत्पादन, डीएनए प्रतिकृति या बैक्टीरिया सेलुलर चयापचय के अन्य पहलुओं के साथ हस्तक्षेप करके बैक्टीरिया के विकास को सीमित करते हैं।
    जैसे – Tetracylines, Chloroamphenicol आदि.
  2. Bacteriosidal -जीवाणुरोधी एंटीबायोटिक्स [Bacteriosidal Antbiitics ] कोशिका भित्ति [Cell Wall ] संश्लेषण को रोकते हैं |
    जैसे -पेनिसिलिन, सेफलोस्पोरिन, Ristomycium और वैनकोमाइसिन।

Types of Antibiotics

( प्रतिजैविको के प्रकार )

प्रतिजैविक को को उनके उद्गम के आधार पर निम्न समूह में विभक्त किया जा सकता है

1॰कवकों द्वारा उत्पन्न प्रतिजैविक

2.जीवाणु द्वारा उत्पन्न प्रतिजैविक

3.एक्टीनोमाइसीट्स द्वारा उत्पन्न प्रतिजैविक

1.कवकों द्वारा उत्पन्न प्रतिजैविक [ Antibiotics Produced by Fungi ]

NAME OF ANTIBIOTICSOURCE OF ANTIBIOTIC APPLICATION OF ANTIBIOTIC
पेनिसिलिनPenicillium notetum एवं Penicillium chrysogenum पेनिसिलिन का उपयोग विभिन्न प्रकार की जीवाणुओं जैसे- स्टेफाईलोकोक्कस, streptococcus, meningococcus आदि द्वारा उत्पन्न रोगों के उपचार के लिए किया जाता है |
इसके अतिरिक्त गोनोरिया सिफलिस आदि रोगों के उपचार हेतु पेनिसिलिन का उपयोग किया जाता है |
MicrocidePenicillium vitaleविभिन्न प्रकार के घाव (wounds) को ठीक करने में एवं जलने के उपचार में इसका उपयोग किया जाता है |
बैकेटिन (Baccatin)जिबरेला बैकेटा (Gibberella bacata)Bacterial infection के उपचार मे
FumigalinAspergillus fumigatus


Nutrient recycling मे use किया जाता है

केम्पेस्ट्रिन (campastrin)सैलीओटा केम्पेस्ट्रिस (Psalliota campastris )यह antibacterial एजेंट के रूप मे use किया जाता है
Cephalosprinसिफेलोस्प्रिनसिफालोस्पोरियम ऐक्रिमोनियम Cephalosporium acremonium
Saurvic acidAspergillus niger
प्रोलोफेरिन (proloferin )Aspergillus proloferans
Ramaicin – Mucor ramannianus
GriseofulvinPenicilium Griseofulvin
कवकों द्वारा उत्पन्न प्रतिजैविक

2. जीवाणु द्वारा उत्पन्न प्रतिजैविक

NAME OF ANTIBIOTICSOURCE OF ANTIBIOTICAPPLICATION OF ANTIBIOTIC
BesitracinBaccilus subtilus
Gramacidin – B.brevisइसमें बैक्टीरियोस्टैटिक तथा बैक्टीरियोसाइडल गुण पाए जाते हैं इसका उपयोग पायोजेनिक कोकाई से उत्पन्न रोगों के उपचार में किया जाता है

TyrothricinB.brevis पेट के रोगों ,दस्त, घावों तथा स्त्रियों के मूत्र जनन अंगों रोगों के उपचार में
Polymixin -BAerobaccilus polymyxa ग्राम नेगेटिव जीवाणु से उत्पन्न रोगों के उपचार में
जीवाणु द्वारा उत्पन्न प्रतिजैविक

3. एक्टीनोमाइसीट्स द्वारा उत्पन्न प्रतिजैविक –

NAME OF ANTIBIOTICSOURCE OF ANTIBIOTICAPPLICATION OF ANTIBIOTIC
Amphotericin Bस्ट्रेप्टोमाईसिस नोडोसस (Streptomysis nodosus )

आरोमाईसीन या टेट्रासाइक्लिन (Auromycin or tetrecucline )स्ट्रेप्टोमाईसिस औरियोफेसिअन्स (S.aureofaciens )निमोनिया काली खासी गोनोरिया आदि रोगों के उपचार में
कार्बोमाइसीन (Carbomycin )S.halstedii
क्लोरोमाइसिटिन ChloromycitinS.venezuelaeदस्त, बुखार, रिकेटयोसिस रोगों के उपचार में
इरिथ्रोमाइसिन (Erythromycin )S.erythreusग्राम पॉजिटिव तथा ग्राम नेगेटिव जीवाणुओं रिकेट्सियल , क्लेमाइडियाज़, इंटेस्टाइनल अमीबी,ट्राईकोमोनाडस आदि से उत्पन्न रोगों के उपचार में
नोवोमाइसिन (Novomycin )S. neveus
निओमाइसिन (Neomycin )S. fradiaeग्राम पॉजिटिव ग्राम नेगेटिव तथा विशेष रूप से स्टेफाइलोंकोकसजीवाणु द्वारा उत्पन्न रोगों के उपचार हेतु
.टेरामाइसिन (Terramycin )S. rimosusयहां एंटीबायोटिक ग्राम नेगेटिव तथा ग्राम पॉजिटिव जीवाणुओं जैसे कोकाई, सालमोनेला शिजेला तथा E.coli आदि से उत्पन्न रोगों के उपचार में प्रयोग होता है
स्ट्रेप्टोमाइसिन (Streptomycin )S.griseusट्यूबरक्लोसिस, मेनिनजाइटिस, प्लेग, काली खांसी आदि के उपचार हेतु
एक्टीनोमाइसीट्स द्वारा उत्पन्न प्रतिजैविक

Uses of Antibiotics

(प्रतिजैविको के प्रयोग )

एंटीबायोटिक्स का उपयोग कुछ प्रकार के बैक्टीरियल संक्रमणों के इलाज या रोकथाम के लिए किया जाता है। वे वायरल संक्रमण के खिलाफ प्रभावी नहीं हैं, जैसे कि सामान्य सर्दी या फ्लू।

  1. औषधीय उपयोग (Medicinal Uses ) प्रतिजैविक मनुष्य के कुछ संक्रामक रोगों जैसे- हैजा, काली खासी, डिप्थीरिया, सिफलिस, कुष्ठ रोग, निमोनिया, टाइफाइड आदि को नियंत्रित करने में सक्षम होते हैं |
    अता प्रतिजैविको का प्रयोग इन रोगों से होने वाली हानि एवं मृत्यु दर को कम करने में किया जाता है | इनका प्रयोग हमारे पशुओं के विभिन्न संक्रामक रोगों को नियंत्रित करने में प्रभावी पाया गया है जैसे – जीवाण्विक डायरिया, निमोनिया आदि | प्रतिजैविक को का प्रयोग अनेक प्रकार के पादप रोगों के नियंत्रण में भी किया जाता है जैसे टमाटर का जीवाणु एक्सपोर्ट रोक तंबाकू का वाइल्ड फायर आलू का ब्लैक लेग रोग आदि |
  2. भोज्य पदार्थों के संरक्षण में ( In Food Preservation ) – प्रतिजैविक ओं का प्रयोग भोज्य पदार्थों के संरक्षण मुख्य का ताजी मांस मछली एवं कुक्कुट भोजन आदि के लिए भी किया जाता है |
  3. कुछ प्रतिजैविको का प्रयोग जंतुओं के भोजन के पूरक के रूप में भी किया जाता है जिससे जंतुओं की वृद्धि में उन्नति होती है |

संदर्भ –

  1. Google wikipedia – for more informaation- https://en.wikipedia.org/
  2. Class 12th biology –
Previous articleOnline GK Quiz- hindi
Next articleScience Quiz 30 -General Biology
यह website जीव विज्ञान के छात्रों तथा जीव विज्ञान में रुचि रखने को ध्यान में रखकर बनाई गई है इस वेबसाइट पर जीव विज्ञान तथा उससे संबंधित टॉपिक पर लेख, वीडियो, क्विज तथा अन्य उपयोगी जानकारी प्रकाशित की जाएगी जो छात्रों तथा प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे प्रतियोगियों के लिए महत्वपूर्ण सिद्ध होगी इन्हीं शुभकामनाओं के साथ|
SHARE

1 COMMENT

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here