SEED GERMINATION / GERMINATION OF SEED
WHAT YOU LEARNT
1. अंकुरण क्या है?
2. अंकुरण के लिए आवश्यक परिस्थितियां
3. अंकुरण की प्रक्रिया
4. अंकुरण के प्रकार
5. अधोभूमिक अंकुरण तथा ऊपरीभूमिक अंकुरण में अंतर
बीज (SEED)
आध्यावरण युक्त परिपक्व एवं निषेचित बीजांड को बीज कहते हैं |
बीज के अंदर युग्मनज से विकसित हुआ भ्रूण उपस्थित होता है | बीज में उसके बनने के तुरंत बाद या कुछ है समय अंतराल पश्चात ने पादप में परिवर्तित होने की क्षमता होती है | बीज के अंदर स्थित भ्रूण विकसित होकर नए पादप का निर्माण करता है|
अंकुरण क्या है?
अनुकूल परिस्थितियों तथा कारकों ( हवा ,जल,ताप )की उपस्थिति में बीज के अंदर स्थित भ्रूण का सक्रिय तथा विकसित होकर नए नव प्ररोह एवं जड़ तंत्र के निर्माण करने की प्रक्रिया को अंकुरण कहते हैं|
अंकुरण के लिए आवश्यक परिस्थितियां
- जल या नमी का होना
- तापमान
- ऑक्सीजन
- भोजन एवं वृद्धि नियामक पदार्थ
- प्रसुप्ता अवस्था की समाप्ति
- बीजों की जीवन शक्ति
- बीज संरचना
1. जल या नमी का होना
जल की उपस्थिति के पश्चात की बीज के आंतरिक ऊत्तकों में सक्रियता आ पाती है तथा जैव रासायनिक अभिक्रिया को क्रियाशील करने वाले एंजाइम सक्रिय हो पाते है |
जल के कारण बीच के अंदर कोशिकाओं की परास अरणीय प्रभाव में वृद्धि होती है जल की कमी बीजों में अंकुरण के लिए स्ट्रेस कारक की तरह कार्य करता है तथा अंकुरण नहीं हो पाता है |
2. वातावरणीय गैसें (Atmosphere Gases) –
वातावरण में ऑक्सीजन, कार्बन डाइऑक्साइड, नाइट्रोजन आदि गैसे होती हैं इनमें O2की उपस्थिति 8% से 20% अंकुरण को बढ़ाती है | जबकि उच्च कार्बन डाइऑक्साइड सांद्रण अंकुरण को विरुद्ध करती है | फ्लोराइड ,H2S, NO2,SO2,O3 आदि अंकुरण की प्रक्रिया को सफल नहीं होने देती है |
3. मृदा अवस्था –
मृदा वातायन , जल धारण क्षमता , मृदा का पीएच, मृदा के खनिज घटक , कार्बनिक पदार्थ आदि कारकों पर भी अंकुरण की दर निर्भर करती है| मृदा लवणता (high mineral in soil ) बीज के अंकुरण की दर को कम करती है|
4. बीजों की जीवन क्षमता –
अंकुरण केवल जीवनक्षम बीजों में ही संभव होती है | किसी भी बीच में यह क्षमता उसके निर्माण के पास कुछ दिनों से लेकर अनेक वर्षों तक हो सकती है | जैव रासायनिक तथा आकारीकीय एवं पर्यावरणीय परिवर्तनों के कारण बीजों के जीवन क्षमता पर प्रभाव पड़ता है तथा उसकी समाप्ति हो सकता है | प्रसुप्ति अवस्था के कारण भी बीज अंकुरित नहीं हो पाते है |
5. बीज संरचना (Seed Structure ) –
कुछ बीजों में करें अथवा अपारगम्य बीज चोल की उपस्थिति , अपरिपक्व भ्रूण की उपस्थिति ,निरोधक पदार्थों की उपस्थिति अंकुरण को शीघ्र होने से रोकती है | इसके विपरीत की अवस्था अंकुरण को शीघ्र होने देती है |
6.प्रकाश (LIGHT )-
प्रकाश बीजों के अंकुरण के लिए आवश्यक नहीं माना जाता है |
IMP NOTES –
- कुछ बीजों को अंकुरित होने के लिए प्रकाश की आवश्यकता होती है , ऐसे बीच फोटोब्लास्टिक बीज कहलाते हैं | Ex. Lectuca
- कमल (Lotus ) के बीज 400 वर्षों के बाद भी अंकुरित हो सकते है |
बीज अंकुरण की क्रिया विधि-
जब बीज को सभी आवश्यक परिस्थितियां उपलब्ध हो जाती है तो इसमें उपस्थित प्रसुप्त भ्रूण क्रियाशील होकर वृद्धि शुरू कर देता है तथा एक शिशु पौधे को उत्पन्न करता है जिसे बीज अंकुरण कहते हैं |
बीज अंकुरण के समय निम्नलिखित घटनाएं क्रमबद्ध रूप से घटित होती है
- अंतः शोषण
- स्वसन
- संचित भोजन का उपयोग
- भ्रूण की वृद्धि
अंकुरण के प्रकार-
A.अधोभूमिक अंकुरण (Hypogeal Germination )
B. ऊपरीभूमिक अंकुरण
A.अधोभूमिक अंकुरण (Hypogeal Germination ) –
ऐसा बीज अंकुरण जिसमें अंकुरण के पश्चात मुलांकुर भूमि में स्थिर हो जाता है तथा बीज पत्र भूमि के बाहर नहीं निकलते है ,उसे अधोभूमिक अंकुरण कहते हैं |
किस प्रकार के अंकुरण में भ्रूण के अक्ष का मुलांकुर पहले विकसित होकर जड़ तथा बाद में प्रांकूर विकसित होकर प्ररोह बना देता है |
उदा. – मटर , चना ,धान ,गेहूं , नारियल , खजूर आदि
B. ऊपरीभूमिक अंकुरण –
वहां अंकुरण जिसमे बीज के बीजपत्राधार तेजी से लंबाई में बढ़ता है जिसके फलस्वरूप बीजपत्र भूमि के ऊपर निकल आते हैं | ऊपरीभूमिक अंकुरण कहलाता है |
उदा .- अंकुरण इमली ,अरंडी ,सेम ,मूंगफली, आदि |
अधोभूमिक अंकुरण तथा उपरिभूमिक अंकुरण में अंतर
बीज अंकुरण को प्रभावित करने वाले कारक
A. बाहा : कारक
1. जल
2. प्रकाश
3. ऑक्सीजन
4. उपयुक्त तापक्रम
5 . अन्य कारक
B. आंतरिक कारक
1. भ्रूण की परिपक्वता
2. जीवन क्षमता
3. प्रसुप्ति अवस्था
IMP QUESTION–
1. अंकुरण क्या है?
2. अंकुरण कितने प्रकार का होता है?
3. अधोभूमिक अंकुरण तथा उपरिभूमिक अंकुरण में अंतर लिखिए |
4. अंकुरण को प्रभावित करने वाले कारकों को समझाइए|
5.प्रसुप्ति क्या है ?