8 मार्च विश्व महिला दिवस -इतिहास बदलने वाली नारी शक्ति को नमन [8 March-World Woman Day]

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“स्त्री पुरुषो से उतनी ही श्रेष्ठ है,
जितना प्रकाश अंधेरे से”
मुंशी प्रेमचंद


आज इस लेख में हम बात करेंगे भारत की उन महिलाओं की जिन्होंने भारत के इतिहास को बदलने का कार्य किया है| इतिहास उठाकर देखा जाए तो अनगिनत महिलाएं भारतीय इतिहास को बदलने में अपना योगदान किया है, हर किसी का योगदान अविस्मरणीय हैं | प्राचीन भारत से लेकर वर्तमान भारत तक अनेक ऐसी महिलाएं हैं जिन का योगदान ना केवल तत्कालीन समाज को दिशा प्रदान किया है वरन वर्तमान समाज को भी दिशा प्रदान करने का कार्य कर रहा है| भारत के पुरुष प्रधान समाज में यह महिलाएं सूरज के प्रकाश सी उभर आई और अपने प्रकाश द्वारा भारतीय समाज, भारतीय इतिहास और भारतीय जनमानस के बीच में एक ऐसी छाप छोड़ गई है या छोड़ रही है जिन से प्रेरणा लेकर भारतीय समाज आगे बढ़ रहा है इन महिलाओं में रानी लक्ष्मीबाई, रजिया सुल्तान, सावित्रीबाई फुले, मदर टेरेसा, झलकारी बाई, इंदिरा गांधी, पीटी ऊषा, लता मंगेशकर, कल्पना चावला, साइना नेहवाल, सानिया मिर्जा, सुनीता विलियम, सुनीता नारायण, मेघा पाटकर आदि प्रमुख रूप से हैं |

प्रमुख भारतीय महिलाएं जिन्होंने इतिहास बदल दिया संक्षिप्त जानकारी–

  • रजिया सुल्तान / रजिया सुल्तान-
  • दिल्ली सल्तनत की एकमात्र महिला शासक जिन्होंने दिल्ली सल्तनत पर 1236 ईस्वी से 1240 ईस्वी तक शासन किया जिनका पूरा नाम रजिया अल दिन तथा शाही नाम जलालात उद दिन रज़िया था |
    रजिया इल्तुतमिश की पुत्री थी तुर्की मूल की रजिया सुल्तान मुस्लिम एवं तुर्की इतिहास की पहली महिला शासक थी|
    अपने भाई रख मुद्दीन की मृत्यु के उपरांत रजिया दिल्ली की शासिका बनी गद्दी संभालने के बाद रजिया ने रीति-रिवाजों के विपरीत पुरुषों की तरह कोटवा पगड़ी धारण करना पसंद किया रजिया ने पर्दा प्रथा त्यागकर दरबार में खुले मुंह जाना पसंद किया | रजिया अपनी राजनीतिक समझदारी और नीतियों से सीना तथा जनसाधारण का ध्यान रखती थी|
    तत्कालीन परिस्थितियों में जहां महिलाओं को दोयम दर्जे का माना जाता था वहां पर रजिया सुल्तान ने यह साबित किया कि यदि आप में हिम्मत और काबिलियत है तो आप समाज की दिशा बदल सकती हैं |
  • झांसी की रानी लक्ष्मीबाई-

  • चमक उठी सन सत्तावन में,
    वह तलवार पुरानी थी,
    बुंदेले हरबोलों के मुंह,
    हमने सुनी कहानी थी
    खूब लड़ी मर्दानी,
    वह तो झांसी वाली रानी थी |
  • सन 1857 की प्रथम स्वतंत्रता संग्राम जिन महिलाओं ने पर चढ़कर हिस्सा लिया उनमे रानी अवंती बाई लोधी, रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई प्रमुख थी|
    रानी लक्ष्मीबाई मराठा शासित झांसी राज्य की रानी थी उन्होंने सिर्फ 29 साल की उम्र में अंग्रेज साम्राज्य की सेना से युद्ध किया और रणभूमि में वीरगति को प्राप्त हुई | रानी लक्ष्मीबाई ने भारतीय समाज में महिलाओं के योगदान को उच्चतम दर्जा प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की| आज जब कोई महिला या कोई बालिका शौर्य का प्रदर्शन करती है तो उसे लक्ष्मीबाई के नाम से जाना जाता है|
    लक्ष्मी बाई का जन्म वाराणसी में 19 नवंबर 1828 को हुआ था उनके बचपन का नाम मनु था उन्होंने बचपन में ही शास्त्रों के साथ शास्त्र की भी शिक्षा 1842 में उनका विवाह झांसी की मराठा राजा गंगाधर राव नेवलकर के साथ हुआ |
    21 नवंबर राव की मृत्यु हो गई तथा अंग्रेजों ने राज्य हड़प नीति के तहत उनके कर्ज़ को महारानी के सालाना खर्च से काटने का आदेश जारी किया |
    झाँसी 1857 के संग्राम का एक प्रमुख केन्द्र बन गया जहाँ हिंसा भड़क उठी। रानी लक्ष्मीबाई ने झाँसी की सुरक्षा को सुदृढ़ करना शुरू कर दिया और एक सेना का गठन प्रारम्भ किया। इस सेना में महिलाओं की भर्ती की गयी और उन्हें युद्ध का प्रशिक्षण दिया गया। साधारण जनता ने भी इस संग्राम में सहयोग दिया। 
    1857 के सितम्बर तथा अक्टूबर के महीनों में पड़ोसी राज्य के राजाओं ने झाँसी पर आक्रमण कर दिया। रानी ने सफलतापूर्वक इसे विफल कर दिया। 1858 के जनवरी माह में अंग्रेजों की सेना ने झाँसी की ओर बढ़ना शुरू कर दिया और मार्च के महीने में शहर को घेर लिया। दो हफ़्तों की लड़ाई के बाद अंग्रेजों की सेना ने शहर पर क़ब्ज़ा कर लिया। परन्तु रानी अपनी दत्तक पुत्र दामोदर राव के साथ अंग्रेज़ों से बच कर निकलने में सफल हो गयी।
    तात्या टोपे और रानी की संयुक्त सेना ने अंग्रेजों के विरुद्ध लड़ते हुए ग्वालियर के किले पर कब्जा कर लिया| 18 जून 1858 को ग्वालियर के पास कोटा की सराय में अंग्रेजों की सेना से लड़ते-लड़ते रानी लक्ष्मीबाई की मृत्यु हो गई।
    शत शत नमन है ऐसी वीरांगना को जिसने भारतीय समाज में महिलाओं की दिशा व दशा को बदल दिया|
  • सावित्रीबाई फुले-

  • एक ऐसी महिला जिसने भारतीय समाज में महिलाओं की शिक्षा को एक नया आयाम दिया| एक ऐसी महिला जिसने स्वयं पढ़ लिख कर भारतीय महिलाओं को पढ़ने लिखने लायक बनाया|
    सावित्रीबाई फुले भारत की प्रथम महिला शिक्षिका समाज सुधारिका थी जिन्होंने अपने पति ज्योतिबा फुले के साथ मिलकर महिला अधिकारों एवं शिक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया |
    3 जनवरी 1848 पुणे में अपने पति के साथ मिलकर विभिन्न जातियों की 9 छात्राओं के साथ महिलाओं के लिए एक विद्यालय की स्थापना की |
    चार वर्ष उपरांत ब्रिटिश सरकार ने महिलाओं की शिक्षा मैं योगदान के लिए उन्हें व उनके पति को सम्मानित किया|
    सन् 1848 में बालिका विद्यालय चलाना कितना मुश्किल रहा होगा, इसकी कल्पना शायद आज भी नहीं की जा सकती। लड़कियों की शिक्षा पर उस समय सामाजिक पाबंदी थी। सावित्रीबाई फुले उस दौर में न सिर्फ खुद पढ़ीं, बल्कि दूसरी लड़कियों के पढ़ने का भी बंदोबस्त किया, वह भी पुणे जैसे शहर में। इनके सम्मान में सन 2014 में पुणे विश्वविद्यालय का नाम बदलकर सावित्रीबाई फुले विश्वविद्यालय कर दिया गया |
  • मदर टेरेसा-

मदर टेरेसा जन्म से भारतीय ना होकर भी भारतीय महिला जिसने मानव सेवा भाव को अपना कर्म मानकर अपना पूरा का पूरा जीवन समर्पित कर दिया| मदर टेरेसा जिन्हें रोमन कैथोलिक चर्च द्वारा कोलकाता की संत टेरेसा के नाम से नवाजा गया यह रोमन कैथोलिक नंद की जिन्होंने 1948 में भारतीय नागरिकता ले ली थी 1950 में कोलकाता में मिशनरीज आफ चैरिटी की स्थापना की तथा 45 वर्षों तक गरीब, बीमार, अनाथ और मरते हुए लोगों की उन्होंने मदद की|
मदर टेरेसा दलितों एवं पीडितों की सेवा में किसी प्रकार की पक्षपाती नहीं थी | उन्होनें सद्भाव बढाने के लिए संसार का दौरा किया है। उनकी मान्यता है कि ‘प्यार की भूख रोटी की भूख से कहीं बड़ी है।’ 

इन्हें सन 1979 में नोबेल शांति पुरस्कार से नवाजा गया तथा 1980 में भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न प्रदान किया गया| मदर टेरेसा की मृत्यु के बाद पोप जॉन पॉल द्वितीय ने इन्हें धन्य घोषित किया और इन्हें कोलकाता की धन्य की उपाधि प्रदान की|

इंदिरा गांधी-

आधुनिक भारत के निर्माण में जिस महिला का महत्वपूर्ण योगदान है उसका नाम है इंदिरा गांधी|इंदिरा प्रियदर्शनी गांधी जिनका जन्म 19 नवंबर 1937 तथा मृत्यु 31 अक्टूबर 1984 को हुई| मैं भारत की प्रथम और एकमात्र महिला प्रधानमंत्री रही है जो 1966 से 1977 तक लगातार तीन कार्यकाल के लिए भारत की प्रधानमंत्री रही चौथे कार्यकाल में 1980 से 1984 तक प्रधानमंत्री रही| इन्होंने आधुनिक भारत के निर्माण में महत्वपूर्ण कार्य किया

संक्षेप में कहें तो आधुनिक भारत के निर्माण में सर्वाधिक योगदान जिस महिला का है वह महिला इंदिरा गांधी ही हैं टाइम्स मैगजीन ने इंदिरा गांधी को 1976 के लिये वीमेन ऑफ द ईयर चुना | टाइम मैगजीन ने इंदिरा गांधी को दुनिया की उन 100 ताकतवर महिलाओं में शामिल किया है जिन्होंने पिछली सदी को नई पहचान दी|

1969 को उन्होंने बैंकों का राष्ट्रीयकरण कर दिया 1971 में बांग्लादेशी शरणार्थी समस्या हल करने के लिए पूरी पाकिस्तान की ओर से जो अपनी स्वतंत्रता के लिए लड़ रहे थे पाकिस्तान पर युद्ध घोषित कर दिया और पाकिस्तान को विभाजित करके बांग्लादेश का निर्माण कराया| स्माइलिंग बुद्धा के अनौपचारिक छाया नाम से 1976 में भारत ने सफलतापूर्वक एक भूमिगत परमाणु परीक्षण राजस्थान के रेगिस्तान में बसे गांव पोखरण के करीब किया शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए परीक्षण का वर्णन करते हुए भारत दुनिया के सबसे नवीनतम परमाणु शक्ति बन गया| हरित क्रांति जैसे कई अन्य महत्वपूर्ण कार्यों को अंजाम दिया|

लता मंगेशकर- 300


जादुई आवाज की मलिका लता मंगेशकर भारत ही नहीं अपितु विश्व की सबसे लोकप्रिय गायिका जिनका छह दशकों का कार्यकाल उपलब्धियों से भरा है इन्होंने 30 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी गाने गाए हैं उनकी पहचान भारतीय सिनेमा में एक पार्श्व गायक के रूप में रही हैं | टाइम्स पत्रिका ने उन्हें भारतीय पार्श्व गायन की अपरिहार्य सामग्री स्वीकार किया है| इन्हें भारत रत्न 2001, पदम विभूषण 1999, पदम भूषण 1969, दादा साहब फाल्के अवार्ड 1990 आदि पुरस्कारों से नवाजा गया है|
यह एक ऐसी गायिका है जिन्हें देखकर आज की युवा पीढ़ी और पिछली कई पीढ़ियां पार्श्व गायन के क्षेत्र में आगे बढ़ी हैं |

  • कल्पना चावला-

  • भारतीय मूल की अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला का जन्म 17 मार्च 1962 को करनाल हरियाणा में हुआ था |
    कल्पना चावला ने प्रारंभिक शिक्षा और अपनी कॉलेज स्तर की पढ़ाई भारत में ही पूरी की और सन 1982 में संयुक्त राज्य अमेरिका के लिए चली गई | कल्पना चावला हवाई जहाजों, ग्लाइडरों,
    व्यवसायिक विमान चालन में पारंगत थी | अंतरिक्ष यात्री बनने से पहले वह एक सुप्रसिद्ध नासा की वैज्ञानिक थी|
    अंतरिक्ष पर पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला कल्पना चावला की दूसरी अंतरिक्ष यात्रा ही उनकी अंतिम यात्रा साबित हुई| 1 फरवरी 2003 को कोलंबिया अंतरिक्ष यान की पृथ्वी की कक्षा में प्रवेश करते ही टूट कर बिखर गया और अंतरिक्ष यान में सवार सातों यात्रियों के अवशेष टैक्सास नामक शहर में बरसने लगे|
    कल्पना चावला के शब्द ” मैं अंतरिक्ष के लिए ही बनी हूं प्रतीक पल अंतरिक्ष के लिए ही बिताया और इसी के लिए ही मरूंगी|” सच साबित हुआ|
    कल्पना चावला उन करोड़ों महिलाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है जो विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करना चाहती है अंतरिक्ष के क्षेत्र में कार्य करना चाहती है| उन्हें रोल मॉडल बनाकर कई महिलाएं, कई विद्यार्थी अपने लक्ष्य की ओर अग्रसर है|

पीटी उषा-


27 जून 1964 को केरल राज्य के कोझिकोड जिले में जन्मी पी.टी. ऊषा भारतीय ट्रैक और फील्ड की रानी के नाम से जानी जाती है| उन्हें “उड़नपरी ” “पय्योली एक्सप्रेस” के नाम से भी जाना जाता है|
वे किसी भी ओलंपिक प्रतियोगिता के फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला और पांचवी भारतीय बनी | पी.टी. ऊषा ने अब तक 101 अंतरराष्ट्रीय पदक जीते हैं|
पी.टी.उषा को अर्जुन पुरस्कार 1984 में, जकार्ता एशियाई दौड़ प्रतियोगिता की महानतम महिला धाविका 1985 में, पदम श्री 1984 में, एशिया की सर्वश्रेष्ठ धाविका 1984, 1985, 1986, 1987 व 1990 आदि सम्मान प्राप्त हो चुके|
भारतीय समाज में खेलों के प्रति महिलाओं की रुचि जागृत करने में पी.टी.ऊषा का अहम योगदान रहा है| आज भारत के विभिन्न एथलीट पी.टी.उषा को अपना आदर्श मानते हुए विश्व स्तर की विभिन्न प्रतियोगिताओं में भारत का नाम रोशन कर रहे हैं|

सानिया मिर्जा-


भारतीय टेनिस को एक नई पहचान देने वाली टेनिस परी सानिया मिर्जा का जन्म 15 नवंबर 1986 को मुंबई महाराष्ट्र में हुआ| 2003 से 2013 तक उन्होंने महिला टेनिस संघ के एकल और डबल में भारतीय टेनिस खिलाड़ी के रूप में अपना स्थान बनाए रखा| 2005 में अर्जुन पुरस्कार, इन्हें सन 2006 में “पद्मश्री सम्मान” प्रदान किया गया यह सम्मान प्राप्त करने वाली सबसे कम उम्र की महिला खिलाड़ी थी | उन्हें 2006 में अमेरिका में विश्व की टेनिस की दिग्गज हस्तियों के बीच डब्ल्यूटीए का “मोस्ट इंप्रेसिव न्यू कमर अवार्ड” प्रदान किया गया था| इन्होंने ग्रैंड स्लैम प्रतियोगिताओं में डबल तथा मिश्रित प्रतियोगिताओं में पुरस्कार प्राप्त किया |
भारतीय टेनिस को एक नई पहचान देने, महिलाओं के टेनिस में प्रवेश की नए रास्ते खोलने के लिए सानिया मिर्जा प्रेरणा स्रोत रही है|

साइना नेहवाल-


साइना नेहवाल का जन्म 17 मार्च 1990 को हिसार हरियाणा में हुआ| भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी साइना नेहवाल एक महीने में तीसरी बार प्रथम वरीयता पाने वाली अकेली महिला खिलाड़ी है| लंदन ओलंपिक 2012 में साइना ने इतिहास रचते हुए बैडमिंटन की महिला एकल स्पर्धा में कांस्य पदक हासिल किया ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी है | वह 2008 में बीडब्ल्यूएफ विश्व कनिष्ठ प्रतियोगिता जीतने वाली पहली भारतीय महिला है| 2009 को इंडोनेशिया ओपन जीतकर वहां विश्व की सबसे प्रतिष्ठित बीडब्ल्यूएफ सुपर सीरीज जीतने वाली पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी|
साइना भारत सरकार द्वारा पद्मश्री और सर्वोच्च खेल पुरस्कार राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी है|
भारतीय बैडमिंटन को बुलंदियों तक पहुंचाने वाली साइना नेहवाल उन हजारों, लाखों भारतीयों के लिए प्रेरणा स्रोत है जो बैडमिंटन खेल को अपना कैरियर बनाना चाहते हैं|

सारांश

बहुत सीऐसी महिलाएं हैं जिनका योगदान भारतीय इतिहास में अमिट हैं जिनका वर्णन ना किया गया हो उन सभी भारतीय महिलाओं को विश्व महिला दिवस पर शत-शत नमन है| आज भी ऐसी अनेक क्षेत्र हैं जहां पर महिलाओं का योगदान बहुत कम हैं इन क्षेत्रों में महिलाओं को आगे आना चाहिए| सरकार को महिलाओं की शिक्षा, महिलाओं को दिए जाने वाले समानता के अधिकार, महिला भ्रूण हत्या, रोजगार के समान अवसर आदि क्षेत्रों में उल्लेखनीय कार्य करने की आवश्यकता है ताकि भारत एक विकसित राष्ट्र बन सके|

संदर्भ- गूगल विकीपीडिया

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