मानवीय गतिविधि और पर्यावरण संरक्षण – विश्व पर्यावरण दिवस

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मानवीय गतिविधि और पर्यावरण दिवस
पूरे विश्व में पर्यावरण संरक्षण में लोगों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए, लोगों में जागरूकता लाने के लिए 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है| विश्व पर्यावरण दिवस की सार्थकता और मानवीय गतिविधि पर आधारित यह लेख आपको पर्यावरण संरक्षण में योगदान देने के लिए प्रेरित करेगी इसी उम्मीद के साथ |

प्रस्तावना :-

पिछले कुछ समय की घटनाओं को यदि हम देखें मानवीय गतिविधियों के कारण पर्यावरण को बहुत ज्यादा नुकसान हुआ है प्रकृति के प्रत्येक घटक का एक संतुलित मात्रा में होना अति आवश्यक है यदि यह मात्रा कम या ज्यादा होती है तो यह पर्यावरण के लिए नुकसान दायक होता है प्रारंभिक कमी या बढ़ोतरी में पर्यावरण स्वयं संतुलन स्थापित करने का प्रयास करती है, लेकिन बहुत ज्यादा कमी या बढ़ोतरी होने पर वह अपने आप को संतुलित कर पाने में असमर्थ हो जाती है और यही स्थिति पर्यावरणीय असंतुलन को जन्म देती है जो जीव धारियों जैसे जंतुओं, पौधे, कवक सभी के लिए नुकसानदेह होती है

मानवीय गतिविधि- कुछ ताज़ा मानवीय गतिविधियों को मैं यहां पर जिक्र करना चाहूंगा जिनकी वजह से पर्यावरण में असंतुलन की स्थिति पैदा हुई है और होने की सम्भावना हैं

  1. कोरोना वायरस जैसी महामारी मानवीय गतिविधि के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई महामारी है जिससे आज लाखों लोग काल के गाल में समा चुके हैं |
  2. असम के तिनसुकिया के पास ऑयल इंडिया लिमिटेड के तेल कुएं से हुई लीकेज की वजह से जीव जंतुओं, जल स्रोतों और पर्यावरण पर भयानक असर पड़ रहा जिसकी वजह से डॉल्फिंस, मछलियां तथा पशु पक्षी मर रहे हैं |
  3. केरल में गर्भस्थ हथिनी को फटाके युक्त फल खिलाकर हत्या करना मानवता को शर्मसार करने वाली घटना है |
  4. प्राकृतिक संसाधनों का अति दोहन, जीव जंतुओं को शिकार के लिए नष्ट करना, कृषि के लिए वनों को काटना, अत्यधिक जनसंख्या, भौतिक सुख-सुविधाओं के साधनों में वृद्धि ऐसी मानवीय गतिविधि हैं जिनकी वजह से प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होती है|
मानव निर्मित आपदा

क्या करें :- विश्व पर्यावरण संरक्षण वर्तमान परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए हर कोई चाहता है कि उसके आसपास का वातावरण स्वच्छ हो साथ ही प्रत्येक व्यक्ति चाहता है कि पर्यावरण से संबंधित सभी उसकी आवश्यकताएं पूर्ण हो वर्तमान परिदृश्य को ध्यान में रखते हुए हम देखते हैं कि हमारे पर्यावरण से संबंधित अनेक समस्याएं हमारे सामने मुंह बांधे खड़ी हैं इन समस्याओं में मृदा अपरदन की समस्या ग्लोबल वार्मिंग की समस्या डिफॉरेस्टेशन की समस्या कृषि जोत की कम होने की समस्या बढ़ती हुई जनसंख्या वाइल्ड एनिमल के यह कम होने की समस्या हॉटस्पॉट के बढ़ने की समस्या और ना जाने कौन-कौन सी पर्यावरण से जुड़ी हुई समस्या हमारे सामने खड़ी है |
पर्यावरण को संरक्षित करने के लिए हमें बहुत से उपाय करने होंगे कुछ प्रमुख उपायों का वर्णन यहां पर किया जा रहा है

  1. बच्चों को जागरूक करें:- पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति का योगदान जरूरी है, परंतु इसमें सर्वाधिक योगदान अगर किसी का हो सकता है तो वह है बच्चे | बच्चों को पर्यावरण संरक्षण की जानकारी दिया जाना आवश्यक है परिवार के बड़े सदस्यों की यह जिम्मेदारी होनी चाहिए कि वह बच्चों को पर्यावरण संरक्षण से संबंधित छोटी-छोटी बातों को बताएं| बच्चों को अपने आसपास स्थित खेत, बगीचा, अभ्यारण, नेशनल पार्क, जूलॉजिकल गार्डन, बॉटनिकल गार्डन आदि की सैर कराना चाहिए तथा वहां पर उपस्थित पेड़-पौधों और जीव-जंतुओं के बारे में उन्हें बताना चाहिए|
  2. सोच बदले- आज पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए मानव को अपनी सोच में बदलाव करने की आवश्यकता है, प्रकृति किसी एक की नहीं हैं सभी को यह समझना होगा | प्रकृति के संरक्षण में छोटा-छोटा योगदान बड़े योगदान में परिवर्तित होगा | बदले :-आज पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए मानव को अपनी सोच में बदलाव करने की आवश्यकता है, प्रकृति किसी एक की नहीं हैं सभी को यह समझना होगा | प्रकृति के संरक्षण में छोटा-छोटा योगदान बड़े योगदान में परिवर्तित होगा |
  3. पाठ्य सामग्री में शामिल करना – प्रकृति को सुरक्षित करने के लिए हमारे स्कूल महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं |प्रारंभिक पाठ्यक्रम में पर्यावरण संरक्षण के उपायों को शामिल किया जाना चाहिए साथ ही इन उपायों को प्रायोगिक तौर पर शामिल किया जाना चाहिए ना कि सैद्धांतिक तौर पर जैसे पौधे लगाना और पौधों की देखभाल करना, प्लास्टिक की चीजों को कम से कम इस्तेमाल करना, जल संरक्षण के उपायों को अपनाना आदि|
  4. जिम्मेदारी तय करना :- यदि हमें पर्यावरण को संतुलित बनाए रखना है तो हमें प्रत्येक व्यक्ति के पर्यावरण संरक्षण कार्यों की एक जिम्मेदारी तय करनी होगी एक शिक्षक को पर्यावरण संरक्षण के लिए क्या करना चाहिए, एक ग्रहणी को पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान किस प्रकार देना चाहिए, एक व्यवसायी किस प्रकार से पर्यावरण संरक्षण में योगदान दे सकता है, इसी प्रकार एक किसान, एक छात्र की अपनी जिम्मेदारी तय होनी चाहिए कि किस प्रकार वे पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दें |
  5. प्राकृतिक संसाधनों का उचित प्रबंधन:-
    हमारे पास प्राकृतिक संसाधन एक नियत मात्रा में उपलब्ध है हमें इनका इस प्रकार से इस्तेमाल करना चाहिए कि हमारी आवश्यकताएं भी पूरी हो जाए और भविष्य के लिए उपलब्ध भी रहे|
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